Editorial: पाक के संगी तुर्किये, अजरबैजान का बहिष्कार समय की मांग

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Boycott of Pakistan allies Turkey and Azerbaijan is the need of the hour

Boycott of Pakistan allies Turkey and Azerbaijan is the need of the hour: आतंकी देश पाकिस्तान के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया के तीन देशों की ओर से पाक को मदद मुहैया कराने से उनकी असलियत सामने आ चुकी है। अक्सर विश्व मंच पर अनेक बार आतंकवाद के खिलाफ खड़े होने की बात कही जाती है, लेकिन एक साथ 26 निर्दोष नागरिकों की हत्याओं के बाद भी जिन देशों का कलेजा नहीं पिघलता और वे फिर भी पाकिस्तान के साथ कंधा मिलाकर खड़े होते हैं, तो उन्हें इसका दंड मिलना ही चाहिए। देश में इस समय पाकिस्तान के प्रति भीषण आक्रोश है, लेकिन उसके मित्र देश तुर्किये, अजरबैजान और चीन के प्रति भी गहरी नाराजगी है। ऑपरेशन सिंदूर में जब विस्फोटक लादे ड्रोन भारत की सीमाओं में घुसपैठ कर रहे थे, तो उनको मुहैया कराने वाला तुर्किये यह सुनिश्चित कर रहा था कि भारतीयों का हर हाल में जान और माल का नुकसान हो। अभी तक भारत से तुर्किये और अजरबैजान के बीच बहुत बड़ी तादाद में कारोबार होता आया है, क्या भारत सच में अपने ही दुश्मनों को खाद-पानी नहीं देता आ रहा है।

तुर्किये के स्वर बहुत पहले से भारत विरोधी हैं और उसके नेता खुलेआम पाकिस्तान की करतूतों का समर्थन करते आ रहे हैं। अब जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत पर आतंकी और सैन्य हमला किया गया तो तुर्किये, अजरबैजान और चीन ने पाकिस्तान को मदद मुहैया कराई। इस मदद के बूते कंगाल पाकिस्तान की कायर सेनाएं दो दिन के करीब भारत की सेनाओं के सामने डटे होने का दिखावा करती रही। लेकिन भारतीय सेनाओं के युद्ध कौशल, उनके साहस और संकल्प ने न केवल कायर पाकिस्तान  अपितु तुर्किये, अजरबैजान और चीन को भी धूल चटा दी।

दरअसल, देश में तुर्किये और अजरबैजान से अगर व्यापारिक संबंध तोड़ने की मुहिम रंग ला रही है तो यह बहुत स्वाभाविक और जरूरी है। इस मुहिम में देश की बड़ी से बड़ी कंपनियां शामिल हैं तो मंडियों में फल कारोबारी, ट्रेवल एजेंट और शिक्षण संस्थान भी अपनी तरफ से योगदान दे रहे हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि दिल्ली में 125 से अधिक कारोबारी प्रतिनिधियों ने एकमत से इन देशों से कारोबार बंद करने का प्रस्ताव पारित किया है। निश्चित रूप से केंद्र सरकार की ओर से अभी इन देशों के आधिकारिक बायकाट की बात नहीं कही गई है, संभव है ऐसा होगा भी नहीं। क्योंकि यह कूटनीतिक कदम ज्यादा होता है। पाकिस्तान से भारत ने अपने सभी संबंधों को स्थगित किया हुआ है, ऐसा उसके आतंकवाद को शह देने की वजह से है।

हालांकि तुर्किये और अजरबैजान ने अप्रत्यक्ष रूप से पाक को समर्थन दिया और उसकी करतूतों में उसके साथ खड़े रहे, तब भारतीय समाज इन देशों के प्रति अगर खफा है तो यह उनके लिए खतरे की घंटी है। भारत से इन देशों के मध्य जहां फल और अन्य वस्तुओं का कारोबार होता है, वहीं ये देश पर्यटन से सबसे ज्यादा राजस्व कमाते हैं। व्यापारी संगठनों ने फिल्म उद्योग से भी मांग की है कि तुर्किये और अजरबैजान में फिल्मों की शूटिंग न की जाए। बेशक फिल्म उद्योग के बारे में सब कुछ शत प्रतिशत न कहा जाए, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अनेक फिल्म सितारों जिनकी फिल्में खाड़ी के देशों समेत मुस्लिम देशों में बहुत देखी जाती हैं, ने कोई कड़ी प्रतिक्रिया पाकिस्तान के प्रति नहीं की। आज का समय स्वार्थ सिद्धि का ज्यादा है, जिसमें अपने कारोबारी हितों को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन उस देशभक्ति का क्या, जिसमें एक सामान्य नागरिक अपने देश के लिए जीने और मरने की सोचता है। ऐसे में देश का व्यापारिक समाज अगर यह सोचता है कि पाकिस्तान के साथ तुर्किये और अजरबैजान को भी इसका एहसास होना चाहिए कि भारत का विरोध क्या होता है, तो यह बहुत गौर करने लायक बात है।

आज के समय में कारोबार पर रोक और उसे नियंत्रित करना सबसे बड़ी कूटनीतिक चोट है। तुर्किये और अजरबैजान को इसका गुमान है कि पूरी दुनिया से पर्यटक उनके यहां भ्रमण के लिए आते हैं, लेकिन अब जिस प्रकार से भारत की ओर से इन देशों का बहिष्कार किया जा रहा है, उसके परिणाम जल्द सामने होंगे। यह बेहद आवश्यक है कि आज पूरी दुनिया में आतंकवाद का खात्मा हो। पाकिस्तान के संबंध में सार्वजनिक रूप से प्रचलित है कि वह आतंकियों को जन्मदाता और उनका पोषक है। ऐसे में वे देश जोकि उसके संग खड़े हो रहे हैं, के साथ भी पाकिस्तान की भांति ही व्यवहार किया जाना चाहिए। निश्चित रूप से देश की जनता इस बात को बखूबी समझेगी और देश की रक्षा एवं उसके गौरव के लिए प्रतिज्ञाबद्ध रहेगी।

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